धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक योग का पहला प्रसार भगवान शिव ने अपने 7 शिष्यों के बीच किया था। इन सातों ऋषियों को ग्रीष्म संक्रांति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा पर योग की दीक्षा दी गई, इस सभी को शिव के अवतरण के तौर पर माना जाता था।
योग दिवस को अंतरराष्ट्रीय तौर पर मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ ने किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त महासभा में विश्व स्तर पर योग दिवस मनाने का आह्वान किया। योग के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महज तीन महीने के अंदर स्वीकार कर लिया।
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून की तारीख योग दिवस के लिए तय कर दी। 193 देशों में से 175 देशों ने बिना किसी मतदान के भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। किसी प्रस्ताव को यूएन आम सभा में इतनी बड़ी संख्या में समर्थन बनना एक रिकॉर्ड है। बता दें कि इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को इतने बड़े पैमाने पर समर्थन नहीं मिला था। पहली बार ऐसा हुआ कि किसी देश को यूएन असेंबली में सिर्फ 90 दिनों के भीतर स्वीकार कर लिया गया हो। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन भी कहते हैं। इस दिन को ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं। इस दिन आम दिनों की तुलना में आज सूरज की किरणें ज्यादा देर तक धरती पर रहती हैं। इस कारण इसे बड़ा दिन माना जाता है। इस घटना के कारण ही 21 जून को योग दिवस भी मनाया जाता है। योग में इस घटना को संक्रमण काल कहते हैं। संक्रमण काल के दौरान योग करने से शरीर को बहुत लाभ मिलता है।
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