मेरा देश बदल रहा हैं, विकास के पथ में चल रहा है।
आकाश की ऊँचाइयों की क्या है विसात अब,
मंगल, चन्द्रमा से भी आगे हमारी पहुँचहें अब ।।
मिसाइल मैन अब्दुल कलाम" के मार्गदर्शन में वो काम किया है।
शक्तिशाली रॉकेट, परमाणु बम व अग्नि मिसाइलों का निर्माण किया है ।
जों तबाह कर दें हर दुश्मन के अड्डे, ऐसी तकनीक का अविष्कार किया है।
हमारे प्रतिभाशाली छात्रों ने माइक्रोसाफ्ट, गूगल जैसों को कामयाब किया है।
..जटिल विज्ञान व गणित से हमनें ही लोहा लिया है।
हमने ही दुनिया को आर्यभट जैसा वैज्ञानिक दिया है।
अब हिम्मत नही किसी की हम से टकराने की ।।
भिड़ेगा जो भारत से, वाकी न रहेगी उसकी कहानी
बस देश की एकता और अखंडता को लेकर कुछ काम, वक्त की जरूरत है |
देश में विकास सबको साथ लेकर ही होगा, यह बात नेताओं को समझानी है।
धर्म, समुदाय, जाति, भेदभाव के नफरत को देश से मिटाना है। हमें भारत को 21वीं सदी का विकसित राष्ट्र बनाना है।
न लड़े आपस में हम तो ही अच्छा है।
हर भारतीय देशभत है और सच्चा है।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, अगर हम करते रहे।
तो समझो दुश्मन के सपनों को हम पूरा करते रहे
इन सब चीजों से देश बस हजारों साल पीछे ही जायेगा।
ऐसा ही रहा तो देश गरीबी, बेरोजगारी के कुचक्र में फस जायेगा |
न संभले गर अब भी हम तो विकास का पथ टूट जायेगा।
मेरा देश तरक्की, व विकास के उजियारो से छूट जायेगा।
लेखक: जिया वारिस (Zia Waris)
नोट: लेखक के विचार निजी है।
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