बॉलीवुड के प्रतिष्ठित अभिनेता और देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत फिल्मों के निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था। कम ही लोग जानते हैं कि वे मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार से अत्यधिक प्रभावित थे। उनकी प्रेरणा से ही उन्होंने फिल्म 'शबनम' में दिलीप कुमार के किरदार 'मनोज' के नाम पर अपना नाम बदल लिया।
मनोज कुमार का फिल्मी सफर संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उनकी प्रतिभा ने उन्हें एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। जब वे फिल्म 'हरियाली और रास्ता' कर रहे थे, तब तक उनकी चार फिल्में रिलीज हो चुकी थीं। इस फिल्म में उनके साथ अभिनेत्री माला सिन्हा मुख्य भूमिका में थीं। उस समय माला सिन्हा एक स्थापित सितारा थीं और उन्हें फिल्म के लिए लाखों रुपये का पारिश्रमिक मिला, जबकि मनोज कुमार को मात्र ग्यारह हजार रुपये दिए गए।
फिल्म की शूटिंग के दौरान एक दिलचस्प घटना घटी। जब भी मनोज कुमार का क्लोज-अप शॉट लिया जाता, माला सिन्हा कैमरे के पास आकर खड़ी हो जातीं। इससे मनोज कुमार थोड़े परेशान हो जाते। बाद में, माला सिन्हा ने उन्हें समझाया कि वे ऐसा इसलिए करती थीं ताकि देख सकें कि उनके शॉट्स बेहतर आ रहे हैं या नहीं।
दार्जिलिंग में फिल्म की शूटिंग के दौरान भी एक मजेदार वाकया हुआ। माला सिन्हा सुबह के नाश्ते के लिए उबले हुए अंडे लेकर आई थीं और उन्होंने उन्हें मनोज कुमार के पास रख दिया। तभी किसी ने मनोज कुमार से पूछा, "ये अंडे किसके हैं?" मनोज कुमार ने तुरंत जवाब दिया, "मालाजी के।" यह सुनकर माला सिन्हा नाराज हो गईं और तपाक से बोलीं, "क्या मैं अंडे देती हूँ?" लेकिन फिर खुद ही इस मजाक पर हंसने लगीं। इस घटना के बाद दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई।
मनोज कुमार ने अपने करियर में कई यादगार फिल्में दीं, जिनमें 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम', 'क्रांति' और 'रोटी कपड़ा और मकान' जैसी हिट फिल्में शामिल हैं। उन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी और आज भी उनकी फिल्में दर्शकों को प्रेरित करती हैं।
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