भारत विविधताओं से भरा देश है, जहाँ हर त्योहार और धार्मिक परंपरा हमें एकता का संदेश देती है। इस साल होली और जुमे की नमाज़ एक ही दिन पड़ रही है, और यह संयोग हमें आपसी भाईचारे और सद्भाव की खूबसूरत मिसाल पेश करने का अवसर देता है।
होली: रंगों में घुली मोहब्बत
होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, उमंग और भाईचारे का प्रतीक है। यह हमें बताती है कि हर रंग की अपनी खूबसूरती होती है और जब ये रंग मिलते हैं, तो एक खुशनुमा नज़ारा बनता है—ठीक वैसे ही जैसे समाज में हर धर्म, हर जाति और हर परंपरा मिलकर इसे खूबसूरत बनाती है।
रंगों से बढ़कर कोई तक़रीर नहीं होती,
मोहब्बत से बढ़कर कोई तदबीर नहीं होती।
चलो इस होली पर ऐसा कुछ कर जाएं,
कि हमारे बीच कोई दीवार नहीं होती।
जुमा: इबादत और अमन का दिन
जुमा इस्लाम में बेहद अहम दिन है। यह आत्मशुद्धि, इबादत और भाईचारे को बढ़ावा देने का दिन है। मस्जिदों में अदा की जाने वाली जुमे की नमाज केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संयम, दया और प्रेम का संदेश है।
सजदे में झुके सिर, दिल में हो नूर,अमन की हो दुआ, हर तरफ हो सुरूर।जुमे की इस बरकत में मांगी है ये दुआ,खुशियों से महकता रहे हर एक का जहान।
होली और जुमे का एक साथ आना हमें सिखाता है कि भारत में धर्म सिर्फ इबादत का ज़रिया नहीं, बल्कि रिश्तों को और मजबूत करने का एक माध्यम भी है। एक तरफ जहां लोग गुलाल उड़ाकर खुशियाँ बाँटेंगे, वहीं दूसरी तरफ नमाज़ अदा करने वाले शांति और भाईचारे की दुआ करेंगे। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें।
न तेरा, न मेरा, ये रंगों का पैगाम है,मोहब्बत की खुशबू, अमन का एहतराम है।चलो इस बरस होली ऐसे मनाएँ,कि हर दिल में सिर्फ प्यार ही आए।
होली हो या जुमा, हर धार्मिक परंपरा का मूल संदेश प्रेम और सौहार्द ही है। हमें चाहिए कि हम धर्म के नाम पर बांटने वाली ताकतों को नकारें और मिल-जुलकर हर त्योहार को सम्मान और प्रेम के साथ मनाएँ। यही भारत की असली खूबसूरती और सबसे बड़ी ताकत है।
रंग हो नमाज़ का, या होली की उमंग,हर तरफ फैले बस मोहब्बत की तरंग।चलो इस त्योहार को हम कुछ यूँ मनाएँ,हर आँगन में अमन का दीप जलाएँ।
क्या इस बार हम सब मिलकर होली और जुमे को सौहार्द और भाईचारे का त्योहार बना सकते हैं? अपनी राय हमें जरूर बताइए!
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